Sunday, April 4, 2010

आज से उजाले अपनी यादों के लेकर आ रहे हैं सलीम ख़ान


विविध भारती एफ़.एम. सेवा पर ’उजाले अपनी यादों के’श्रोताओं का बेहद पसंदीदा कार्यक्रम रहा है. हाल ही में हुए कार्यक्रम परिवर्तन के मुताबिक अब यह कार्यक्रम प्रत्येक रविवार को अपराह्न ४ बजे प्रसारित होगा. कार्यक्रम की समय सीमा भी एक घंटे की कर दी गई है.४ अप्रैल से प्रारंभ होने वाली नई श्रंखला में अतिथि कलाकार के रूप में इस कार्यक्रम में आ रहे हैं मशहूर संवाद लेखक जोड़ी सलीम-जावेद के सलीम ख़ान.विविध भारती के लोकप्रिय उदघोषक यूनुस ख़ान ने सलीम ख़ान से यह लम्बा इंटरव्‍यू उनके बांद्रा स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट में रेकॉर्ड किया है

उल्लेखनीय है कि इन्दौर में जन्मे और पढ़े-लिखे सलीम ख़ान संवाद लेखन के पहले अभिनय की दुनिया में क़िस्मत आज़माने मुम्बई तशरीफ़ लाए थे. उजाले अपनी यादों के कार्यक्रम में सलीम ख़ान ने गुज़रे ज़माने के अपने उस शहर इन्दौर की बेशुमार यादों को ताज़ा किया है. जिसमें मालवा का खानपान,पहनावा,रीति-रिवाज और रहन-सहन शामिल हैं.याद किया है अपनी उन माशूकाओं को जो अब दादी-नानी बन चुकीं हैं.और जानकारी दी है अपनी तेज़ रफ़्तार से भागने वाली उस मोटरसायकल की जो उन दिनों शहर इन्दौर में चर्चा का केन्द हुआ करती थी. हाँ इन्दौर के फ़्लाइंग क्लब का स्मरण भी आया है इस बातचीत में; जहाँ एक प्रशिक्षित पायलेट के रूप में सलीम ख़ान हवाई जहाज़ उडाया करते थे.यूनुस ख़ान से हुई इस गुफ़्तगू में रतलाम, जावरा,देवास,उज्जैन जैसे गावों और क़स्बों का ज़िक्र भी आया है.


कई कड़ियों में प्रसारित होने वाली इस बातचीत में इंदौर के मोहल्ले, सिनेमाघर, स्कूल और कॉलेजों की यादें भी सम्मिलित हैं.रेकॉर्डिंग की लम्बाई के मद्देनज़र हो सकता है कि विविध भारती के श्रोताओं को पूरा एक एपिसोड इन्दौर पर सुनने को मिले.एक ख़ास कड़ी में सलीम ख़ान अपने साहबज़ादे और अभिनेता सलमान पर बतियाएंगे.दो कडियों में उनकी पत्नी सलमा और अभिनेत्री हेलन पर भी चर्चा हुई है.


ग़ौरतलब है कि सलीम ख़ान एक शानदार किस्सागो हैं और उनके ज़हन में साठ के दशक से लेकर आज तक के सिनेमा,उसकी निर्माण प्रक्रिया,कहानी लेखन, अदाकारी,संगीत और निर्देशन को लेकर सैकड़ों क़िस्से ताज़ा हैं.तो विविध भारती एफ़.एम.पर सुनना न भूले ..उलाले अपनी यादों के...

2 comments:

siddheshwar singh said...

अपने यहाँ एफ.एम. नहीं आता ! पर कोशिश करेंगे कि सुना जा सके !

दिलीप कवठेकर said...

शुक्रिया!!!